मेरी जिंदगी
#WritcoPoemChallenge
मेरी आंखों में जो सपने हैं, उसे सच करना है,
भाग्य से समझौता नहीं, उससे लड़ना है।
तकदीर रूठ जाए तो क्या, परंतु हम रुकने वाले नहीं,
हालात कितना भी गंभीर हो, परंतु घुटने टेकने वाले हम नहीं।
दो वक्त की रोटी के लिए, कभी सोचा नहीं करते हैं,
हमें तो वह मंजिल फतेह करना है, जिसे पाने के लिए लोग मरते हैं।
कभी अपने दीर्घायु की अभिलाषा नहीं रखते
काश! आयु कम ही सही, परंतु सूर्य की तरह चमकते।
हमें सपने देखने का हक है और उसे पूरा करने का हिम्मत,
लोग अक्सर सपने तोड़ दिया करते हैं, और हम मरम्मत कर के जोड़ लिया करते हैं।
कुछ लोग हमेशा मेरा मजाक उड़ाया करते हैं,
हम भी बदला नहीं, उसमें बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं।
मुकाम हमें वो चाहिए, जहां मौत भी फीका हो जाए,
हमारी आखिरी दिन ही सही, लेकिन वह इतिहास बन जाए।
मौत हमारी हो परंतु मातम दुनिया मनाए,
हमारे चिता की ज्वाला के आगे, सूर्य का तेज भी फीका हो जाए।
मेरी आंखों में जो सपने हैं, उसे सच करना है,
भाग्य से समझौता नहीं, उससे लड़ना है।
तकदीर रूठ जाए तो क्या, परंतु हम रुकने वाले नहीं,
हालात कितना भी गंभीर हो, परंतु घुटने टेकने वाले हम नहीं।
दो वक्त की रोटी के लिए, कभी सोचा नहीं करते हैं,
हमें तो वह मंजिल फतेह करना है, जिसे पाने के लिए लोग मरते हैं।
कभी अपने दीर्घायु की अभिलाषा नहीं रखते
काश! आयु कम ही सही, परंतु सूर्य की तरह चमकते।
हमें सपने देखने का हक है और उसे पूरा करने का हिम्मत,
लोग अक्सर सपने तोड़ दिया करते हैं, और हम मरम्मत कर के जोड़ लिया करते हैं।
कुछ लोग हमेशा मेरा मजाक उड़ाया करते हैं,
हम भी बदला नहीं, उसमें बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं।
मुकाम हमें वो चाहिए, जहां मौत भी फीका हो जाए,
हमारी आखिरी दिन ही सही, लेकिन वह इतिहास बन जाए।
मौत हमारी हो परंतु मातम दुनिया मनाए,
हमारे चिता की ज्वाला के आगे, सूर्य का तेज भी फीका हो जाए।