गर मै कहती हूं...!!
ग़र मैं कहती हूँ
कि तारे मुझे बेहद अज़ीज़ हैं ,
वो कहता है कि आप तो क़ायनात हो सनम
आपके सामने ये तारे क्या चीज़ हैं ,
मुस्कुरा के आँखें मेरी उसको चूम लेती हैं ,
बिन जताये मन ही मन ख़ुशी झूम लेती है ,
मैं झूठ कहके उसकी सारी बातें टाल देती हूँ ,
कुछ पुराने झगड़े उसके सर पे डाल देती हूँ ,
ग़र मैं कहती हूँ
कि बातों में ना तुमसे जीत पायेंगे ,
वो कहता है कि छोड़ो जां...
कि तारे मुझे बेहद अज़ीज़ हैं ,
वो कहता है कि आप तो क़ायनात हो सनम
आपके सामने ये तारे क्या चीज़ हैं ,
मुस्कुरा के आँखें मेरी उसको चूम लेती हैं ,
बिन जताये मन ही मन ख़ुशी झूम लेती है ,
मैं झूठ कहके उसकी सारी बातें टाल देती हूँ ,
कुछ पुराने झगड़े उसके सर पे डाल देती हूँ ,
ग़र मैं कहती हूँ
कि बातों में ना तुमसे जीत पायेंगे ,
वो कहता है कि छोड़ो जां...