...

2 views

ये कैसा मंज़र हैं..?
सिर्फ ज़मीन और आसमान मेरे साथ है,
न चाहके भी वक़्त उदास हैं,
न जाने क्यों लोग अंगारे में मुझे जलाए,
जलता है ये जिस्म, जलता ये मन है,
न जाने ये कैसा मंजर है ?
रोता है दिन , हस्ती है रात,
हसना मेरे लकीरों में नही,
ये लोग है मेरा अपना कोई नही
सोच अंदर उमंग है,
न जाने ये कैसा मंजर है.........?


© SAM😌