...

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अभी नई- नई घर से निकली हूँ मैं।
अभी नई- नई घर से निकली हूं मैं,
ये पहली बार नहीं हैं लेकिन घर की बंदिशों को लाँघ कर अभी- अभी निकली हूँ मैं। ।

आधा जीवन तो मेरा निकल गया बच्चों की परवरिश और जिंदगी की जद्दो -जहद में,
अब आजाद हुई हूँ मैं,
अभी नई- नई घर से निकली हूं मैं,
ये पहली बार नहीं हैं लेकिन आज फिर घर की बंदिशो को लाँघ कर अभी- अभी निकली हूँ मैं।

लेकिन लगता है जैसे कितनी पीछे रह गई हूँ मैं, स्मार्ट फ़ोन के जमाने में आज भी कीपैड पर हूँ मैं,
बेटा फोन करता है मुझे माँ कुछ काम तो नहीं है तुम्हें,
मैं बोलती हूँ नहीं ,हर दम तुम पर निर्भर नहीं हूँ मैं, सिर्फ अभी बाल पके हैं और चेहरे पर थोड़ी झुरियाँ है लेकिन धीरे धीरे सिख रही हूँ मैं,
एक नई पहचान की तलाश में अभी नई- नई घर से निकली हूँ मैं,
ये पहली बार नहीं हैं लेकिन घर की बंदिशों को लाँघ कर अभी- अभी निकली हूँ मैं।
© nehachoudhary