जय जय हे महिषासुर मर्दिनी
तुंग सुता हे पृथ्वी प्रिया जग भर्ता नन्दि नमन करते,
गिरवर श्रेष्ठ हे विन्ध्यनिवासिनी विष्णुविलासिनी जिष्णुनुते ।
शिव भार्या विशाल गृहिणी ऐश्वर्य का हमको तू वर दे,
जय जय हे महिषासुर मर्दिनी रम्यकपर्दिनी शैल सुते।।
देव बली बनते तुझसे औ दैत्य मरे हैं हास भर से ,
हर्षित सब त्रिलोक भर्ता प्रभु शिव संतुष्ट रहें तुमसे।
दैत्य वधी हे दुर्मुनि रोषिणी तू सब पाप हरण कर ले,
जय जय हे महिषासुर मर्दिनी..........।।
जगत जननि कदम्ब वन वासिनी सदा सुखी परिहास रते,
उच्च हिमालय भवन विराजे...
गिरवर श्रेष्ठ हे विन्ध्यनिवासिनी विष्णुविलासिनी जिष्णुनुते ।
शिव भार्या विशाल गृहिणी ऐश्वर्य का हमको तू वर दे,
जय जय हे महिषासुर मर्दिनी रम्यकपर्दिनी शैल सुते।।
देव बली बनते तुझसे औ दैत्य मरे हैं हास भर से ,
हर्षित सब त्रिलोक भर्ता प्रभु शिव संतुष्ट रहें तुमसे।
दैत्य वधी हे दुर्मुनि रोषिणी तू सब पाप हरण कर ले,
जय जय हे महिषासुर मर्दिनी..........।।
जगत जननि कदम्ब वन वासिनी सदा सुखी परिहास रते,
उच्च हिमालय भवन विराजे...