...

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थूकेगा इतिहास......
थूकेगा इतिहास......

थूकेगा इतिहास तुम्हारी
चुप्पी या नादानी पर

कैसे गर्व करे भारत मॉं ,
हिन्दू - हिन्दुस्तानी पर ?
थूकेगा इतिहास तुम्हारी,
चुप्पी या नादानी पर।

कभी संत की हत्या होती,
साधू मारे जाते हैं,
कभी कन्हैया के तन से ही,
शीश उतारे जाते हैं,
घाटी में हिन्दू के घर,
चुन-चुन हत्यारे आते हैं,
अस्सी प्रतिशत होकर भी,
हम ही संहारे जाते हैं,

कब जागोगे सोने वालों,
तुम इनकी शैतानी पर ?
थूकेगा इतिहास तुम्हारी,
चुप्पी या नादानी पर।

'धड़ से शीश जुदा', का नारा,
सिर पर चढ़कर बोलेगा ,
अंकित या कमलेश तिवारी,
की हत्या कर तोलेगा,
पाकिस्तानी नारों से,
हम सबके दिल को छोलेगा,
वीर शिवा-राणा के वंशज,
ख़ून भला कब खौलेगा ?

बाबू सेकुलर गर्व करेंगे,
क़ातिल अफ़ज़ल-बानी पर।
थूकेगा इतिहास तुम्हारी,
चुप्पी या नादानी पर।

भारत मॉं के बंटवारे में,
यदि...