बाखबर पूरी तरहा तू भी नही, तो सोचले,सवाल पूछोगे तो पलटकर फिर सवाल आयेगा
बाखबर पूरी तरहा तू भी नही, तो सोचले,
सवाल पूछोगे तो पलटकर फिर सवाल आयेगा
सफाहत क्या हीं करता हैं दिलं-ए-नादां, फझूल हैं सब
गैरत से पूछोगे फिर भी...
सवाल पूछोगे तो पलटकर फिर सवाल आयेगा
सफाहत क्या हीं करता हैं दिलं-ए-नादां, फझूल हैं सब
गैरत से पूछोगे फिर भी...