...

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थोड़ा, बदल सा गया हूं मैं ।
थोड़ा, बदल सा गया हू मैं,
वैसे कोई तकलीफ तो नहीं है,
पर अब जिंदगी से थोड़ा , थक सा गया हू मैं,
हां, शायद बदलसा गया हूं मैं।

बात करना अब मुझे अच्छा नहीं लगता,
क्योंकि समझना कोई नहीं चाहता।
सबकी अपनी इच्छाएं हैं मुझसे,
सबके अपने मोह,
शायद इसी लिए थोड़ा हारसा गया हू मैं।
सब कहने लगे है, बदल सा गया हूं मैं।

समझने और समझाने के तारों में,
खुद उलझसा गया हू मैं,
निकलने की जल्दी में,और फस सा गया हूं मैं,
शायद थोड़ा, बदल सा गया हूं मैं।

पता नही ये कोनसा दौर है जिंदगी का,
मुस्कुरा के गुजरने की कोशिश कर रहा हु मैं..
जी हां थोड़ा, बदल सा गया हूं मैं।
जी हां थोड़ा, बदल सा गया हूं मैं।
@priy8157
© Magician