...

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# मयखाने तेरे शहर के
#मयखाने
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
सर्द मौसम की कंपकपाती रातों में
गिलाफ़ में लिपटे एहसासों के फ़साने हैं....
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
हर गली, हर मोड़ पे ढूंढ़ता दिल तेरा पता
बेखुदी में लेते नाम तेरा जैसे दीवाने हैं...
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं।