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Kuch Khwaab
कुछ ख्वाब आँखों में बसते हैं
कुछ ख्वाब लिए आँखों में ,मंजिल की तलाश करते हैं कुछ लम्हा लम्हा खवाब देखते हैं.
लम्हा लम्हा जी लेते हैं मुस्कुरा लेते हैं
ये ख्वाबभी कितने खुबसूरत हैं
खुद आ पल्कों में रुक जाते हैं
अक्सर बेवज़ह भी.
कुछ ख्वाब लिए आँखों में ,मंजिल की तलाश करते हैं कुछ लम्हा लम्हा खवाब देखते हैं.
लम्हा लम्हा जी लेते हैं मुस्कुरा लेते हैं
ये ख्वाबभी कितने खुबसूरत हैं
खुद आ पल्कों में रुक जाते हैं
अक्सर बेवज़ह भी.
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