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मेरा मौन जानता है


"मेरा मौन जानता है"

उदासी बढ़ने का सबब कौन जानता है ?
अश्क़ बहने का सबब कौन जानता है ?
दिल बेचैन है क्यों, ये कौन जानता है?
जो भी जानता है, मेरा मौन जानता है।

पत्थर था दिल मेरा, पिघल गया ज़ज़्बात से,
अपना लगने लगा वो, पहली मुलाकात से,
शीशे-सा बिखरा क्यों, ये कौन जानता है?
जो भी जानता है, मेरा मौन जानता है।

अँधेरी गलियों में उजाले की ख़ातिर,
भटकता रहा मैं, अपनों की ख़ातिर,
भोंक गया ख़ंजर क्यों, ये कौन जानता है?
जो भी जानता है, मेरा मौन जानता है।

आरजू की तलब पहले थी ज़िन्दगी से,
अब अकुलाहट होती है ज़िन्दगी से,
श्वांस कब साथ छोड़ दे, ये कौन जानता है?
जो भी जानता है, मेरा मौन जानता है।
©शैलेन्द्र राजपूत
14.08.2020