...

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कोरा पन्ना..

हर दुख की घड़ी में मन की एक ही तमन्ना,
काश हो जाता फिर दिल मेरा, बचपन सा कोरा पन्ना।।

टूटे खिलौने भी मेरे, दुनिया से प्यारे हो जाते,
इक कतरा आंसू का निकलने से सब हमारे हो जाते,
मेरे अपने से होते सब, फिर मुझे क्या होता करना।
काश हो जाता फिर दिल मेरा, बचपन सा कोरा पन्ना।।

मेरे हर ज़ख्म भर जाते, मां की एक प्यारी झप्पी से,
सवेरा हर दिन होता वो, पिता की न्यारी पप्पी से,
मेरी सोच का हर दरिया, जब मां बाप को था भरना।
काश हो जाता फिर दिल मेरा, बचपन सा कोरा पन्ना।।

सोच की बात है "दीपक", दिया तो जल चुका है अब,
दौर अपने परायों का, अंधेरा घुल चुका है अब,
जिंदगी खुशियों से बीते, सभी से खुश ही तू रहना।
काश हो जाता फिर दिल मेरा, बचपन सा कोरा पन्ना।।

हुकूमत करने को आखिर, ताउम्र कौन आया है,
समझ ले जो मै हूं उसका, जो न समझे पराया है,
इबादत जिंदगी की, जिंदगी में सबसे है करना।
काश हो जाता फिर दिल मेरा, बचपन सा कोरा पन्ना।।

D. B. Muskan

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