...

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ये प्यार है या है कुछ और
इक ओर बढ़ने लगा हूँ
तेरी ओर चलने लगा हूँ
मुख़्तलिफ़ रास्तों से चल कर
तुम से मिलने लगा हूँ

ये प्यार है या है कुछ और

सोचता हूँ , तुम्हे सोचता रहूँ
क़ैद नज़रों में करके तुम्हें देखता रहूँ
जैसे ढलती है नदियाँ पर्वत से
मैं तुझ में ढलने लगा हूँ

ये प्यार है या है कुछ और

मेरे लिबास से तेरी ख़ुशबू आती है
तेरे ख़याल की महक मेरी नींदें उड़ाती है
तेरी जादुई आँखों की झील में
रफ़्ता रफ़्ता उतरने लगा हूँ

ये प्यार है या है कुछ और
© (✍)Roshan Rajveer