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रब माना हैं।
मैने तुम्हे रब माना हैं।
तुम पूछो मैने कब माना हैं।
जबसे तुमसे मिला हूं।
मैने तुम्हे तब से माना हैं।
मेरे लबों पर पहले नाम
तुम्हारा लू या उस रब का
मैने तुम्हे सब माना हैं।
तुम सब शुभा दिन दो पहर
इश्क की महकी शाम मेरी।
मैं तुम्हें पढू आयत की तरह।
दुआओ में उठे हाथ तुम्हारे लिए।
मैने तुम्हें पाक मोहबत माना हैं।
तुम गीता कुरान सी पवित्र।
मेने तुम्हें निश्चल पवित्र गंगा जल माना हैं।
मेरी मोहब्बत में दाग नहीं।
मैने तेरे किरदार को खुब माना हैं।
इश्क की मीठी चासनी तुम।
मैने तुम्हे रंग सरबती मीठा इश्क माना हैं।
जो महके फूलो की खुश्बू की तरह
वो ख्याल अपना मेने तुम्हें माना हैं।
रोज सोचता हूं ख्याल करके तुम्हारा
तुम्हारे नाम की माला जपा करता हूं।
तुम्हारी मोहब्बत को मैंने इबादत माना हैं।
हां मैंने तुम्हे रब माना हैं।
जो मीठा लगे कानों को
वो संगीत माना हैं।
© KRISHAN ☑️
तुम पूछो मैने कब माना हैं।
जबसे तुमसे मिला हूं।
मैने तुम्हे तब से माना हैं।
मेरे लबों पर पहले नाम
तुम्हारा लू या उस रब का
मैने तुम्हे सब माना हैं।
तुम सब शुभा दिन दो पहर
इश्क की महकी शाम मेरी।
मैं तुम्हें पढू आयत की तरह।
दुआओ में उठे हाथ तुम्हारे लिए।
मैने तुम्हें पाक मोहबत माना हैं।
तुम गीता कुरान सी पवित्र।
मेने तुम्हें निश्चल पवित्र गंगा जल माना हैं।
मेरी मोहब्बत में दाग नहीं।
मैने तेरे किरदार को खुब माना हैं।
इश्क की मीठी चासनी तुम।
मैने तुम्हे रंग सरबती मीठा इश्क माना हैं।
जो महके फूलो की खुश्बू की तरह
वो ख्याल अपना मेने तुम्हें माना हैं।
रोज सोचता हूं ख्याल करके तुम्हारा
तुम्हारे नाम की माला जपा करता हूं।
तुम्हारी मोहब्बत को मैंने इबादत माना हैं।
हां मैंने तुम्हे रब माना हैं।
जो मीठा लगे कानों को
वो संगीत माना हैं।
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