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चंद दोहे
जुड़े हैं सब स्वार्थ से इक दूजे के संग
मुश्किल समय में देखिए सबके असली रंग
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सुख में सब साथ दें यही जगत की रीत
वक़्त पड़े जब जानिए, को बैरी को मीत
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काम, क्रोध, लोभ, मोह जी के सब जंजाल
यूं तो सब है जीवन में फिर भी सब कंगाल
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कैसे अब लोग हो गए कैसा आ गया दौर
काम पड़े कुछ और है काम सरे कुछ और
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मिथ्या...