...

17 views

इश्क़
इतने करीब थे हम अपने रकीब हो गए
वो बिछड़े हमसे, तो दुनिया के गरीब हो गए

चाँद भी तरस रहा चांदनी के नूर को
सहरा उमड़ गए,दरिया बिफर गए

तेरे आरजू पे चले, थे हम घर से
जाने तेरे ठिकाने, अब किधर किधर गए

गुबार ए ख्वाब ही होगा,तेरे मेरे प्यार का आशियाना
टूट के बिखर गया, हम भी बिखर गए

तूफानी बारिश आई, तो सारे अरमान धूल गए
जूनूनी मोहब्बत को पाने के खातिर,
जाने सारे तर्क किधर गए



स्मृति.