मेरे घर की औरतें
मेरे घर की औरतें
हाथों से साँस लेती हैं
अपनी दिनचर्या में,
वो सदा मसरूफ रहती हैं
अपनी ख़ुद की उन्हें,
नहीं रहती कोई परवाह
दूसरों के लिए,
वो हमेशा जीती हैं
दिन रात का,
उनको नहीं रहता कोई भान
बिना रुके,...
हाथों से साँस लेती हैं
अपनी दिनचर्या में,
वो सदा मसरूफ रहती हैं
अपनी ख़ुद की उन्हें,
नहीं रहती कोई परवाह
दूसरों के लिए,
वो हमेशा जीती हैं
दिन रात का,
उनको नहीं रहता कोई भान
बिना रुके,...