मोहब्बत की सजा
राहे मोहब्बत में,यह क्या हो गया।
नादान दिल था,वह कहीं खो गया।।
मनचला सा इश्क़, संभलता नही है।
रातभर जगते रहे,मगर सकूं खो गया।।
अश्कों के समंदर में,गुम होने लगे हैं ।
हर खुशी को मेरी, वह आकर धो गया।।
नादान दिल था,वह कहीं खो गया।।
मनचला सा इश्क़, संभलता नही है।
रातभर जगते रहे,मगर सकूं खो गया।।
अश्कों के समंदर में,गुम होने लगे हैं ।
हर खुशी को मेरी, वह आकर धो गया।।
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