#अपराध
#अपराध
मन मौन व्रत कर अपराध करता है
संसय -दुविधा पूर्ण जाल बुनता है
पुरवाग्रह , असंतुष्ट मतिभ्रमित हो
किस भांति देखो आघात करता है
अबोध बालक स्वरूप, अतृप्त असंतुष्ट
मानो...
मन मौन व्रत कर अपराध करता है
संसय -दुविधा पूर्ण जाल बुनता है
पुरवाग्रह , असंतुष्ट मतिभ्रमित हो
किस भांति देखो आघात करता है
अबोध बालक स्वरूप, अतृप्त असंतुष्ट
मानो...