...

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कैसे........
आखिर कैसे.. कैसे.. कैसे..
आखिर कैसे हो जाते हैं..
दो दिवाने जान तक..
दो कबूतर शाम तक..
समय की लंबी आह लिए..
दिल में बस चाह लिए..
बयां नहीं होती बेकरारी..
हो जाती नौकरी सरकारी..
खुद में रहकर...
खुद को भूलाकर..
खो जाते हैं दो दीवाने..
हिचकी की एक टक दस्तक पर..
होते कायम हर फसाने..
आखिर कैसे हो जाते हैं दीवाने..
आखिर कैसे..