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हे पुष्प! तुम सबके प्रिय
#पुष्पों_के_गुप्त_रहस्य
नित उठ कर पूजा की थाली में
तुम इतराते जाते हो सजने को
देवों के कंठ और अर्चक के मंत्रों में
हे पुष्प! तुम तो हो प्रभु के प्रिय।
संध्या बेला में जाते हो तुम
बालाओं के बालों में,
। बनकर गजरे और गजरऔट
हे पुष्प!तुम महिलाओं के प्रिय।
जन्मदिन हो,ब्याह कार्य या हो
अंतिम दर्शन किसी के तुम,इतराते हो
बन गले का हार और गुलदस्ते
हे पुष्प! तुम सबके के प्रिय।
ब्याह का,जन्मदिन का,या
नेताओं का स्टेज हो,या
दुल्हन की सेज और मेज पर सजते हो
हे पुष्प! तुम सबके प्रिय हो।
रंगों से तुम अपने बहलाते हो
सुगंधी से तुम महकाते हैं सुंदरता एवं प्रफुल्लता का एहसास कराते हो
हे पुष्प! तुम सबके प्रिय हो।।
नित उठ कर पूजा की थाली में
तुम इतराते जाते हो सजने को
देवों के कंठ और अर्चक के मंत्रों में
हे पुष्प! तुम तो हो प्रभु के प्रिय।
संध्या बेला में जाते हो तुम
बालाओं के बालों में,
। बनकर गजरे और गजरऔट
हे पुष्प!तुम महिलाओं के प्रिय।
जन्मदिन हो,ब्याह कार्य या हो
अंतिम दर्शन किसी के तुम,इतराते हो
बन गले का हार और गुलदस्ते
हे पुष्प! तुम सबके के प्रिय।
ब्याह का,जन्मदिन का,या
नेताओं का स्टेज हो,या
दुल्हन की सेज और मेज पर सजते हो
हे पुष्प! तुम सबके प्रिय हो।
रंगों से तुम अपने बहलाते हो
सुगंधी से तुम महकाते हैं सुंदरता एवं प्रफुल्लता का एहसास कराते हो
हे पुष्प! तुम सबके प्रिय हो।।
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