...

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उम्मीद की पगडंडी
माना की मुश्किलों से भरा डगर है,
फिसलनों से भरा हुआ ये सफर है।

दूर दूर तक फैली हुई है घंघोर अँधेरा,
नहीं पता इस रात की कब होगा सवेरा।

फिर भी उम्मीद की पगडंडी पकड़े,
स्वयं पर भरोसा करके चलते जाना है।

मिटाकर पथ में आये अँधियारों को,
जीवन में एक नया सवेरा लाना है।

पकड़कर उम्मीद की पगडंडी,
हमें चलते जाना है, हमें बस चलते जाना है।