बुढ़िया
हुई रात चाँदनी जाग उठी,
सब पर्ण-दलों से झांक उठी।
तारे छिटपुट बिखरे से थे,
नव- निशा दृश्य निखरे से थे।
तब वृहत व्योम की छाँव तले,
थी पटसन की इक खाट डले।
एक बुढ़िया गाना गाती थी,
कोई लोरी गुनगुनाती थी।
सहसा हिय पट पर दृश्य चले,
लोचन निज चिंतन में जले।
पुत्रों की याद सताती...
सब पर्ण-दलों से झांक उठी।
तारे छिटपुट बिखरे से थे,
नव- निशा दृश्य निखरे से थे।
तब वृहत व्योम की छाँव तले,
थी पटसन की इक खाट डले।
एक बुढ़िया गाना गाती थी,
कोई लोरी गुनगुनाती थी।
सहसा हिय पट पर दृश्य चले,
लोचन निज चिंतन में जले।
पुत्रों की याद सताती...