हम ने लिक्खा है चाँद सा चेहरा...
अब के मौसम का ख़्वाब लिख देना
डाली डाली गुलाब लिख देना
हम ने लिक्खा है चाँद सा चेहरा
तुम उसे माहताब लिख देना
ख़ुद को लिखना कि पारसा हूँ मैं
मुझ को ख़ाना-ख़राब...
डाली डाली गुलाब लिख देना
हम ने लिक्खा है चाँद सा चेहरा
तुम उसे माहताब लिख देना
ख़ुद को लिखना कि पारसा हूँ मैं
मुझ को ख़ाना-ख़राब...