...

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आत्मचिंतन
कौन जगाए जिज्ञासा को,
किसका करे नित हम वंदन,
क्रोध हो या प्रेम का भाव,
हर पल होता जिससे मंथन,
एक ही भाव होता उत्पन्न,
वो कहलाता आत्मचिंतन,
सोच हो गहरी तो हो जाता,
गंभीरता युक्त ये...