...

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तुम्हे सुकून बना बेचैन दिल में उतारना चाहूंगी!
तुम समंदर हो मेरी बेबाक़ सी मर्जी का
जिसमें मैं शौक से हमेशा डूबना चाहूंगी,
तुम धुआँ हो उस इश्क़ की सिगरेट का
जिसे मैं लबों से हलक़ तक सुलगाना चाहूंगी!

तुम नब्ज़ हो जो हर जन्म धड़के मेरी साँसों में
घूँट पी पीकर साँसों का काल पलटना चाहूंगी,
तुम तापस हो निवास करते हो प्रेम की गुफ़ा में
मैं तेज हूं,रंगत हूं,महक कर बिखरना चाहूंगी!

तेरी चिंगारी से...