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#प्रेम-परिभाषा
प्रेम महज़ एक शब्द नहीं
जीवन का आधार है....
स्वप्निल पंखों पर अंबर की
ऊँची  उड़ान का सार है....

खुशबू है महकते इत्र की
कभी दिल को चुभता शूल है....
परिजात सम महकता हुआ
कभी धधकता फ़ूल है....

क़जरारे नैनों में प्रेयसी के
ये काजल की बहार है.....
प्रतीक्षारत बिरहन की कभी
सावन-भादो सी अंसुवन धार है....

खट्टा-मीठा सा ये रिश्ता
अनुराग की...