...

7 views

कुछ अनकही अनसुनी...


रह रह के ज़हन में एक बात उठती है,
झपकती हुई पलकों के बीच हर रात उठती है,
जिसे अपनी आस बना के पास रखा है,
बना के अपनी परछाई अपने साथ रखा है,
सोचती हूँ कौन है वो मेरा,
और क्या हूँ मैं उसकी,
हर जगह हर पल मिले हैं अजनबी,
मिल के बिछड़े अब ना मिलेगें कभी,
पर तू दिल को कभी अजनबी ना लगा,
बताने को कोई रिश्ता भी ना था,
फ़िर भी तू आया नज़र में समाया,
पलक झपकते तुझे दिल में उतरता पाया,
आज तेरी हर आहट को जानती हूँ,
खुदा सा तुझे मानती हूँ,
प्यार इश्क़ मोहब्बत नाम दे के ना बदनाम करुँगी,
दुआ हैं तू खुदा की हर दिन इबादत करूंगी,
पूछे जो कोई तुझसे मेरा रिश्ता,
आज से तुझे, तेरे प्यार को,
अपनी आरज़ू कहूँगी ....

अंशिता अंकित शुक्ला...
© Anshanki