...

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सवाल ?
पल-पल दम तोड़ती साँसों में ख़ुदा से ज़िंदगी की दुआ कैसे करूँ 
ख़ामोश लबों के पीछे छुपे दर्द को बयां कैसे करूँ
जिनकी फ़ितरत है ढाना उनके सितम सहकर, उनपर दया कैसे करूँ 
बीती बात भूलकर दया कर भी दूँ मगर अपने ज़ख़्मों की दवा कैसे करूँ

ख़ुदग़र्ज़ी के लिए जिसने दग़ा दिया अब, उनसे वफ़ा कैसे करूँ 
जान पर जो बन आई...