...

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रूबरू
जिंदगी मे उलझे हैं या फिर ज़िमेदारी है,
कुछ भी हो गालिब अब हमारी बारी है।

मौका मिले न मिले उसे छीन लेना है,
फिर चाहे हो चाँद तक पहुँचने की बात तो उड़ जाना है।

काटेंगे डोर कई यहाँ इस उधेड़बुन मे की आगे उन्हे भी निकलना है
लेकिन घबराना मत फल वाला...