...

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महोब्बत
तुझे खो कर पाया है खुद को,
अब आंधियां भी
मंज़िल से हटा नहीं सकती
वो चाहत मंज़िल को पाने की
कसक उसे पाने से बड़ी हो नहीं सकती।
© Anshu Aabha € soulwriter