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दिल के अल्फाज
इश्क़ तुझे भी मुझसे जब हो जाएगा,
ख़्वाब मेरा मुकम्मल तब हो जाएगा।
सरेआम ज़ुल्फ़ें ना बाँधो यूँ हाथों को उठाकर,
कांधे से पल्लू सरका तो ग़ज़ब हो जाएगा।
किसी दिन जान ले लेंगे ये दोनो झुमके तेरे,
तेरा सजना-संवारना मेरे क़त्ल का सबब हो जाएगा।
इतना भी मत मनाओ रूठे माशूक़ को लोगों,
वो इंसान है, इंसान से रब हो जाएगा।
ख़्वाब मेरा मुकम्मल तब हो जाएगा।
सरेआम ज़ुल्फ़ें ना बाँधो यूँ हाथों को उठाकर,
कांधे से पल्लू सरका तो ग़ज़ब हो जाएगा।
किसी दिन जान ले लेंगे ये दोनो झुमके तेरे,
तेरा सजना-संवारना मेरे क़त्ल का सबब हो जाएगा।
इतना भी मत मनाओ रूठे माशूक़ को लोगों,
वो इंसान है, इंसान से रब हो जाएगा।
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