8 views
रात से बात ,हुई चाँद से मुलाक़ात
सुनो न रात से ,जब बात हुई
पूछ लिया उस से ,चांद से तेरी कब से मुलाक़ात हुई
भाँप लिया उसने मेरे हालातों को
समझ गया मेरे जज्बातों को
कहने लगा मुझसे ,तू पूछ लें खुद से
जब ढल जाऊं मैं, तो उजाला हो
सूरज की किरणें भी चुभती है तूझको
अंधेरो का लेकर सहारा तेरी पूरी रात हुई
मैं रोज मिलता हूँ, ये इंसान चाँद से
पर तु चाँद को हुआ, पर तेरी न कभी चाँद हुई
सुनो न रात से ,जब बात हुई
पूछ लिया उस से ,चांद से तेरी कब से मुलाक़ात हुई
© 𝓴𝓾𝓵𝓭𝓮𝓮𝓹 𝓡𝓪𝓽𝓱𝓸𝓻𝓮
पूछ लिया उस से ,चांद से तेरी कब से मुलाक़ात हुई
भाँप लिया उसने मेरे हालातों को
समझ गया मेरे जज्बातों को
कहने लगा मुझसे ,तू पूछ लें खुद से
जब ढल जाऊं मैं, तो उजाला हो
सूरज की किरणें भी चुभती है तूझको
अंधेरो का लेकर सहारा तेरी पूरी रात हुई
मैं रोज मिलता हूँ, ये इंसान चाँद से
पर तु चाँद को हुआ, पर तेरी न कभी चाँद हुई
सुनो न रात से ,जब बात हुई
पूछ लिया उस से ,चांद से तेरी कब से मुलाक़ात हुई
© 𝓴𝓾𝓵𝓭𝓮𝓮𝓹 𝓡𝓪𝓽𝓱𝓸𝓻𝓮
Related Stories
7 Likes
1
Comments
7 Likes
1
Comments