शहर फीके हैं
पहाड़ों के दामन में
एक बसेरा ढूँढता हूँ मैं
जहाँ होगी खिलती कलियों से बात
वो सवेरा ढूँढता हूँ मैं
पहाड़ों के दामन में
एक बसेरा ढूँढता हूँ मैं
रातों की खामोशी में
जहाँ शहर चमकते हैं
उन चमकते शहरों में
अँधेरा ढूंढता हूँ मैं
पहाड़ों के दामन में
एक बसेरा ढूँढता हूँ मैं।
© hv_musings
एक बसेरा ढूँढता हूँ मैं
जहाँ होगी खिलती कलियों से बात
वो सवेरा ढूँढता हूँ मैं
पहाड़ों के दामन में
एक बसेरा ढूँढता हूँ मैं
रातों की खामोशी में
जहाँ शहर चमकते हैं
उन चमकते शहरों में
अँधेरा ढूंढता हूँ मैं
पहाड़ों के दामन में
एक बसेरा ढूँढता हूँ मैं।
© hv_musings