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मयखाने
#मयखाने
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे मैं डूबा रहता हूँ तेरी आँखों में तो, देख कर जलते यें मयखाने हैँ, नाराज़ हो कर कहते हैँ मुझसे ऐसा क्या हैँ उसकी निगाहों में जो हमें भुला बैठे, क्या उसकी आँखे इतनी नशीली हैँ की तुम्हें हमारी जरूरत नहीं..तुम्हरी शामें गुजरती थी मय में शब होने तक... और अब तुम बेगाने हो गए हो#जब से हुई हैँ आमद शहर में तेरे मुझसे रुठे रुठे सारे मयखाने हैँ े
© shweta Singh