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jhhhhh
जानें वो कैसी लड़की थी
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जानें वो कैसी लड़की थीं
खामखा मुझपर मरती थी
दुनियां पढ़ती मेरी नज्में
वो आंखे मेरी पढ़ती थीं
मेरे सारे रतजगे उसको मालूम होते थे
वो मेरे सेहत की बातें करती थी
मेरी आंखों के नीचे आई झाई को
अपनी नर्म अंगुलियों के छुवन से वो भरती थी
जानें वो कैसी लड़की थी
खामखा मुझपर मरती थी

मैं किसी और के इश्क में सुलगता था
वो मेरे इश्क में सुलगती थीं
मुझपे मरना उस लड़की की
सबसे बड़ी गलती थी
जान बूझकर जानें क्या सोचकर
ये गलती बार बार वो दोहराती थी
जब भी मैं मन या तन से घायल होता
मरहम लेकर वो पगली लड़की
सबसे पहले भागी भागी आती थी
मेरी कहां कभी सुनती थी वो
हरदम अपने मन की करती थी
जानें वो कैसी लड़की थीं
खामखा मुझपर मरती थी

उसकी आवाज़ थी इतनी प्यारी
कि कोयल भी जलन करे
चेहरा उसका इतना प्यारा कि
आँखें हटाने का न मन करे
कितनी गुणी कितनी सुंदर
जितनी बाहर उतनी ही अंदर
सौभाग्य और सौंदर्य की मूरत थी वो
कितनी प्यारी कितनी खूबसूरत थी वो
मेरे ग़म में रोती थी
मेरी हँसी में हँसती थी
इस दुनिया में मुझे मुझसे भी ज़्यादा
सिर्फ वही समझती थी
मैं जब भी दुनिया से घबराकर
आ छुपता अपने अंधेरे कमरे में आकर
फिर वो रोशनी बनकर मेरे पास आती थी
मेरे बुझे हौसले को फिर से लो लगाती थी

सबसे अच्छी मेरी दोस्त थी वो
सबसे सच्ची मेरी दोस्त थी वो
जी करता था उसके दामन को खुशियों से मैं भर दूँ
इस दुनिया के सारे रंग और खुशबू उसके हवाले कर दूँ
उसके ख़ातिर हर हद से गुज़रने का जी करता था
उसके लिए हँसकर मरने का जी करता था
मुझपे ख़ुद को लुटाकर मुझसे
बदले में कभी कुछ नही मांगी

मेरी हद से ज्यादा परवाह करती थी वो
मुझसे जुदा होने से डरती थी वो
मैं चाहकर भी कभी उसे चाह नही पाया
वो चाहकर भी कभी अपनी चाहत बता नही पाई
बेमांजिल राहों में चलती रहीं वो लड़की
एकतरफा इश्क में जलती रही वो लड़की
मैं उसके गम को कभी पी नही पाया
उसके जख्मों को कभी सी नही पाया
धीरे धीरे इस घुटन में गिरती रही वो लड़की
हर पल इश्क में मरती रही वो लड़की
उसके गम में रोने का मन करता था
दिल से बगावत करके उसका होने का मन करता था
लेकिन ओह हाय लडकी
तुम्हरे लिए कुछ भी न कर पाए लड़की
मुझे मालूम था जब तक ये करीब रहेगी
यूं ही बनकर बदनसीब रहेगी
अपने मन की अब ओ दादी कर लो
शिवानी की शादी कर दो...
© Rajeev Ranjan