कुछ शिकायत खुद से...
कोई है मुझमें जो मुझसे ही परेशान है
मेरे तमाम ख्वाबों के टूट जाने से अंजान है
कोई है मुझमें जो मेरे किरदार का बिल्कुल उल्टा है,,मै इसे जितना शांत रहने को कहती ये और मचलता है
कोई है मुझमें जो दुनिया पर भरोसा करने से रोकता है पर मेरा दिल एक बार फिर से टूट जाने को तैयार बैठा है
कोई है मुझमें जो सच्चाई से रुबरू कराता है,,पर मेरा पागल मन फिर सब भूल जाता है...
बस यही सवाल हर रोज मुझे सताता है मै लोगो से परेशान हु या खुद से बस यही नही समझ आता है।।
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मेरे तमाम ख्वाबों के टूट जाने से अंजान है
कोई है मुझमें जो मेरे किरदार का बिल्कुल उल्टा है,,मै इसे जितना शांत रहने को कहती ये और मचलता है
कोई है मुझमें जो दुनिया पर भरोसा करने से रोकता है पर मेरा दिल एक बार फिर से टूट जाने को तैयार बैठा है
कोई है मुझमें जो सच्चाई से रुबरू कराता है,,पर मेरा पागल मन फिर सब भूल जाता है...
बस यही सवाल हर रोज मुझे सताता है मै लोगो से परेशान हु या खुद से बस यही नही समझ आता है।।
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