...

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कोई एक क्षितिज
कोई एक क्षितिज
ऐसी जहाँ फर्क़ नहीं
दिन और रात का
सच और झूठ का
आभा और छाया का
बिंदु और सिंधु का
और...
तेरा और मेरा
वो क्षितिज
प्रेम है!

© jignaa___