...

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जीवन
कभी खुशी कभी गम
इन्ही के इर्द गिर्द
ज़िंदगी चक्कर काटती
रहती है हरदम।
उतार चढ़ाव
कभी मलहम कभी घाव
सब कुछ रहे पता
फिर भी ग़ज़ब लगाव।
हर दिन नये सपने
नये अरमान
रात में सो गये
कल उठेंगे भी या नहीं
इसपर जाता नहीं
कभी भी हमारा ध्यान।
हर पल बितता है
मेहनत,मशक्कत में
आने वाले कल के लिए
जब कि
इसकी भी खबर नहीं कि
आने पल में भी
हम रहेंगे या नहीं।
कभी इस बात की फ़िक्र
कोई क्या सोचेगा
कभी इस बात की फिक्र
कोई नराज़ ना हो जाए
इतने सारे उलझन
कभी सुलझेगा भी या नहीं।
सबको खुशी देनी है
सबका ख्याल है
सबकी मदद करनी है
बस अपना यही हाल है
भूल गये सारी खुशी
मशीन सी बन गई ज़िन्दगी
इतने सारे ताने बाने
जल रहे जैसे परवाने
पड़ गई गांठें इतनी
इस जीवन में
इन गांठों को
खोल पायेगा कौन।।