...

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#ऑटोमैटिक
#ऑटोमैटिक
ऑटोमैटिक के निशानों से कलम पर आ गये है
मैनुअल चरित्र से हम आधुनिक पर आ गये है
अब चाहती क्या हो बता भी दो
मेरे गाँव के लड़के दूध से कॉफी पर आ गये है।

तुम्हारी आदाओ से मयखानों तक आ गये है
तुम्हारी खातिर हम मज़ारों तक आ गये है
सजदे कहाँ नही किये हमने
हम मोलवी मुल्लाओं के चक्कर मे आ गये है।

हम काग़ज़ों से अब अल्फाज़ो तक आ गये है
सख़्त मिज़ाज़ अब नर्म लहजों पर आ गये है
गुज़ारिशें किस से करें
हम पेश होने तुम्हारी कचहरी तक आ गये है।।


© Nitish Nagar