mahobbat
अच्छा जी
मुहब्बत हो जाए तो इजहार नहीं करना
इकरार नहीं करना
बस डरना और उस डर में जीते जीते मरना
क्योंकि एक प्यार ही तो बेकार होता है
बाकी सब कुछ ज़िन्दगी में तो ख़ुशगवार होता है
एक मुहब्बत ही तो ग़म देती है
ज़ुल्म करती है, आँखें नम देती है
रूलाती है, सताती है
बाकी हर चीज़ ज़िन्दगी की तो हँसाती है
ज़िंदगी में कोई और दर्द है कहाँ
एक इश्क़ ही तो सबसे बड़ा मर्ज़ है यहाँ
जब मुहब्बत हो किसी से तो मत कहना
खामोश रहना
जुदाई सहना, तनहाई में रहना
और जब आखरी साँसें चलने लगे
मौत आके गले लगे
तब सोचना
काश
कह दिया होता, बता दिया होता
थोड़ा प्यार जता दिया होता
हो सकता था कोई अपना होता है
किसी का साथ होता
हाथों में हाथ होता
ना अकेला मैं आज होता
कुछ पल की खुशी तो मिलती
कुछ वक़्त तुम्हारे इश्क़ को ज़िन्दगी मिलती
दोनों के दिलों में मुहब्बत खिलती
किसी के तुम बनते और कोई तुम्हारी बनती
और जब मौत को देखो
तो उसके पीछे देखना
कौन खड़ी होगी
इन्तज़ार करके अब चल पड़ी होगी
हां, वो वफ़ा होगी
जिसके लिए तुमने दिल खोला नहीं
मुँह से कुछ बोला नहीं
क्योंकि वफ़ा तो प्यार करने वालों को मिलती है
हिम्मत करके कदम बढ़ाने वालों को मिलती है
कायरों को नहीं, डरने वालों को नहीं,
बिन मरे मरने वालों को नहीं
वफ़ा मिलेगी कैसे, आएगी कैसे
जब इज़हार हुआ नहीं, इकरार किया नहीं
कदम बढ़ाया नहीं
मुहब्बत को गले लगाया नहीं
हाँ, जब मुहब्बत हो किसी से
तो मत कहना
तनहाई में रहना, जुदाई सहना
मरना तो अकेले ही है
जीना भी अकेले करना
क्यूंकि तुमको आया सिर्फ़ दर्द से डरना
मुहब्बत हो जाए तो इजहार नहीं करना
इकरार नहीं करना
बस डरना और उस डर में जीते जीते मरना
क्योंकि एक प्यार ही तो बेकार होता है
बाकी सब कुछ ज़िन्दगी में तो ख़ुशगवार होता है
एक मुहब्बत ही तो ग़म देती है
ज़ुल्म करती है, आँखें नम देती है
रूलाती है, सताती है
बाकी हर चीज़ ज़िन्दगी की तो हँसाती है
ज़िंदगी में कोई और दर्द है कहाँ
एक इश्क़ ही तो सबसे बड़ा मर्ज़ है यहाँ
जब मुहब्बत हो किसी से तो मत कहना
खामोश रहना
जुदाई सहना, तनहाई में रहना
और जब आखरी साँसें चलने लगे
मौत आके गले लगे
तब सोचना
काश
कह दिया होता, बता दिया होता
थोड़ा प्यार जता दिया होता
हो सकता था कोई अपना होता है
किसी का साथ होता
हाथों में हाथ होता
ना अकेला मैं आज होता
कुछ पल की खुशी तो मिलती
कुछ वक़्त तुम्हारे इश्क़ को ज़िन्दगी मिलती
दोनों के दिलों में मुहब्बत खिलती
किसी के तुम बनते और कोई तुम्हारी बनती
और जब मौत को देखो
तो उसके पीछे देखना
कौन खड़ी होगी
इन्तज़ार करके अब चल पड़ी होगी
हां, वो वफ़ा होगी
जिसके लिए तुमने दिल खोला नहीं
मुँह से कुछ बोला नहीं
क्योंकि वफ़ा तो प्यार करने वालों को मिलती है
हिम्मत करके कदम बढ़ाने वालों को मिलती है
कायरों को नहीं, डरने वालों को नहीं,
बिन मरे मरने वालों को नहीं
वफ़ा मिलेगी कैसे, आएगी कैसे
जब इज़हार हुआ नहीं, इकरार किया नहीं
कदम बढ़ाया नहीं
मुहब्बत को गले लगाया नहीं
हाँ, जब मुहब्बत हो किसी से
तो मत कहना
तनहाई में रहना, जुदाई सहना
मरना तो अकेले ही है
जीना भी अकेले करना
क्यूंकि तुमको आया सिर्फ़ दर्द से डरना