...

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पतंगबाज!
पेंच आंखों से लडे,और
हम खड़े-खड़े हवा हो गये
नज़रों के करारे मांजे से कटकर
दिल दोनों के सफ़ा हो गये।

ख़बर लगी जब औरों को
जल-भुनकर ख़फा हो गये
पतंग-मांजा समेटकर अपना
दूसरी छत पर दफा हो गये।

जरा संभलके,ठुमक-ठुमके उडो
चांद-परीयल इक़दूजे पे फ़िदा हो गये
ये देख,दुरंगल,भेडियल, पतंगें सभी
आपस में लड़-लड तबाह हो गये।

दिलों के कन्ने आपस में यूं उलझे
पलभर में दोनों आसमां हो गये
पतंग-लुटेरे मुंह ताकते रह गये
दोनों फुर्र ना जाने कहां हो गये।

पूरे मोहल्ले को पता चल गया
चांद-परीयल दग़ाबाज हो गये
सुबह-शाम फर-फर उड़ने लगे
नौसिखिए से पतंगबाज हो गये।


दिनेश चौधरी 'फ़नकार'