सावन
घनन घनन शोर मचाते
आये काले मेघा
कर वर्षा धरती पर
जीवन को हर्षाते
हर्षाया तन मन
सबके
मोरों की पिहूं पिहूं से
सब दिशाएं लहराईं
पत्तों से गिरती टप टप बूंदें
धरती की प्यास बुझाये
हुई धरती जलमग्न
बच्चों ने भी खूब
कागज़ की कश्ती चलाई
इन्द्र धनुष का आकार लिया मेघों ने भी
कुछ अलसाया सा
सूरज निकला
ली...
आये काले मेघा
कर वर्षा धरती पर
जीवन को हर्षाते
हर्षाया तन मन
सबके
मोरों की पिहूं पिहूं से
सब दिशाएं लहराईं
पत्तों से गिरती टप टप बूंदें
धरती की प्यास बुझाये
हुई धरती जलमग्न
बच्चों ने भी खूब
कागज़ की कश्ती चलाई
इन्द्र धनुष का आकार लिया मेघों ने भी
कुछ अलसाया सा
सूरज निकला
ली...