...

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फर्क हैं मेरी आंखों से देखो
फ़र्क है ,तुम नहीं समझोगे
अकेले रहने में और अकेलापन महसूस करने में।
दिल रखने में और दिल में रखने में।
फ़र्क हैं,तुम नहीं समझोगे
किसी को समझने में और किसी को समझाने में।
हक मांगने में और हक जताने में
खुशी के लिए जीने में,खुशी से जीने में।।
फ़र्क हैं,तुम नहीं समझोगे
अपनों को छोड़कर एक के साथ रहने में
अपनों के बीच में एक और को अपनानाने में।।
अपना आशियाना छोड़ कहींऔर बसने में
अपने आशियाने में किसी और को बसाने में।
फ़र्क हैं तुम नहीं समझोगे
बच्चे होने के सुख से, बच्चों से सूखी होने में
प्यार पाने में,प्यार से अपना बनाने में
मन को शांत रखने से, मन को शांति मिलने से।
फ़र्क है तुम नहीं समझोगे
मेरी आंखो से देखो
इंसान की आदतें गलत है,जरूरी नहीं इंसान गलत है
नज़रिया अलग हो,जरूरी नहीं नज़र गलत है।
मेरी आंखों से देखो शायद समझ पाओगे........(mehakkhushiki)..
© mehakkhushiki #KRK#