फर्क हैं मेरी आंखों से देखो
फ़र्क है ,तुम नहीं समझोगे
अकेले रहने में और अकेलापन महसूस करने में।
दिल रखने में और दिल में रखने में।
फ़र्क हैं,तुम नहीं समझोगे
किसी को समझने में और किसी को समझाने में।
हक मांगने में और हक जताने में
खुशी के लिए जीने में,खुशी से जीने में।।
फ़र्क हैं,तुम नहीं समझोगे
अपनों को छोड़कर एक के साथ रहने...
अकेले रहने में और अकेलापन महसूस करने में।
दिल रखने में और दिल में रखने में।
फ़र्क हैं,तुम नहीं समझोगे
किसी को समझने में और किसी को समझाने में।
हक मांगने में और हक जताने में
खुशी के लिए जीने में,खुशी से जीने में।।
फ़र्क हैं,तुम नहीं समझोगे
अपनों को छोड़कर एक के साथ रहने...