...

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कैसे पता चले?
गुल-ए-गुलज़ार को क्या मालूम मोहब्बत क्या है?
कहानी भँवरे की सुनो तो पता चले।

दास्तान-ए-दर्द लफ़्ज़ों से जाहिर होता नहीं कभी,
खामोशी...