...

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त्याग का उदाहरण


ए वृक्ष जब से देखा है तुझे,
यह विचार आता बार बार मुझे।

क्यों नहीं रहता तू पूरा वर्ष हरा,
क्या रुषट हो गई है तुझसे यह विशाल धरा।

क्यों त्याग दिये तूने अपने
वह हरे छोटे अंग(पत्ते)
तुझे बिन बालों का देख के
आज रह गया मैं दंग।

अरे मेरे मित्र मेरे बंधु
मुझसे बात तो करले यार
त्यागने से और मिलता है यह जाने
तू कितना है समझदार।

ओ वृक्ष सुन मेरी बात ...