मेरी मोहब्बत हो तुम
ज़िन्दगी की राह पर सजी हुई नायाब मोड़ हो तुम,
फ़ुरसत से रूबरू ज़िन्दगी कुर्बत की साज़ हो तुम।
मायुसिओं का सागर हटाए, महकती फ़िजा हो तुम,
एहतराम से सजी ज़िन्दगी, कोशिश नासाज़ हो तुम।
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फ़ुरसत से रूबरू ज़िन्दगी कुर्बत की साज़ हो तुम।
मायुसिओं का सागर हटाए, महकती फ़िजा हो तुम,
एहतराम से सजी ज़िन्दगी, कोशिश नासाज़ हो तुम।
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