नग़मा / गीत
हम अपने किए पर पशेमान होते
मुह़ब्बत जो होती परेशान होते,,, परेशान होते
हम अपने किए पर पशेमान होते
तुझे सोच कर दिल जलाते यहाँ पर
न होते मुह़ब्बत के क़िस्से ज़ुबाँ पर
के घुटनों में सर रख के ह़ैरान होते,,, (ह़ैरान होते)
हम अपने किए पर पशेमान होते
वफ़ाओं के सागर में हम डूब जाते
यहाँ...
मुह़ब्बत जो होती परेशान होते,,, परेशान होते
हम अपने किए पर पशेमान होते
तुझे सोच कर दिल जलाते यहाँ पर
न होते मुह़ब्बत के क़िस्से ज़ुबाँ पर
के घुटनों में सर रख के ह़ैरान होते,,, (ह़ैरान होते)
हम अपने किए पर पशेमान होते
वफ़ाओं के सागर में हम डूब जाते
यहाँ...