"इश्क़ से बड़ा ज़मीर"
ASHOK HARENDRA © 2024
into.the.imagination
§§
"इश्क़ से बड़ा ज़मीर"
💞
"निकला फिर ज़िक्र आज, भूले उस फ़साने का,
टकराया राह में यार इक, उस गुज़रे ज़माने का,
मंजिलें जुदा ही रहीं, सदा उस हमराह से,
जानें राहें मिलीं कैसे, फिर उसकी राह से,
देख कर भर आईं थीं, आँखें उस यार की,
कहाँ भूला था वो भी, कशिश अपने प्यार की,
अक्स-ए-रुख़-ए-यार, बदल तो गया था सब,
दिखा रूतबा ऊँचा, अमीरी से था लबालब,
सोने की चाहत थी, नुमाया उसके गहनों में,
सोने-सी ही चमक, दिखी उसके नयनों में,
सोने का हार कीमती, गले में उसके पड़ा था,
लेकिन कलाई में आज भी, वो ताँबे का कड़ा था,
देख कड़ा वो ताँबे का, सोने की चूड़ियों बीच,
दबी पुरानी चाहत वो, ले आई उन्हें पास खींच,
रखा फासला दरमियाँ, वो भी अपनी हद में था,
अश्क उनकी आँखों में, दिल जद्दोजहद में था,
आँखों में थे अश्क भरे, इश्क़ में दिल अमीर था,
लेकिन इश्क़ से बड़ा, उन दोनों का ज़मीर था!"
💞
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#treasure_of_literature
into.the.imagination
§§
"इश्क़ से बड़ा ज़मीर"
💞
"निकला फिर ज़िक्र आज, भूले उस फ़साने का,
टकराया राह में यार इक, उस गुज़रे ज़माने का,
मंजिलें जुदा ही रहीं, सदा उस हमराह से,
जानें राहें मिलीं कैसे, फिर उसकी राह से,
देख कर भर आईं थीं, आँखें उस यार की,
कहाँ भूला था वो भी, कशिश अपने प्यार की,
अक्स-ए-रुख़-ए-यार, बदल तो गया था सब,
दिखा रूतबा ऊँचा, अमीरी से था लबालब,
सोने की चाहत थी, नुमाया उसके गहनों में,
सोने-सी ही चमक, दिखी उसके नयनों में,
सोने का हार कीमती, गले में उसके पड़ा था,
लेकिन कलाई में आज भी, वो ताँबे का कड़ा था,
देख कड़ा वो ताँबे का, सोने की चूड़ियों बीच,
दबी पुरानी चाहत वो, ले आई उन्हें पास खींच,
रखा फासला दरमियाँ, वो भी अपनी हद में था,
अश्क उनकी आँखों में, दिल जद्दोजहद में था,
आँखों में थे अश्क भरे, इश्क़ में दिल अमीर था,
लेकिन इश्क़ से बड़ा, उन दोनों का ज़मीर था!"
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