...

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अभी तो ये शुरुआत है नई सुबह का आगाज अभी बाकी है
अभी तो ये शुरुआत है.....
नई सुबह का आगाज अभी बाकी है.....
ख्वाहिशों को बुन लिया है बस इन्हें नया आयाम देना बाकी है फेहरिस्त बनी है मेरे ख्वाहिशों की हकीकत में तब्दील करना बाकी है .....
अभी तो ये शुरुआत है ........
नई सुबह का आगाज अभी बाकी है......
मुसीबतें लाख खड़ी हैं सामने पीछे मुड़ने को आवाज़ घुसती है कानों में सपनों को हौसला बना कर कांटो की चुभन को नजरअंदाज करना बाकी है......
अभी तो ये शुरुआत है.....
नई सुबह का आगाज अभी बाकी है.....
सपने खूब देखती हूं मैं इस जहां से दूसरे जहां का सफर रोज तय करती हूं मैं बिन पर जहां घूम आऊं इन सब ख्वाबों की उड़ान अभी बाकी है.......
अभी तो ये शुरुआत है ......
नई सुबह का आगाज अभी बाकी है......
by-Nandini
© story writing and Kavita writing with listening